कुछ समस्यायें आभामंडल या उर्जा चक्रों के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण होती हैं। उनमें संजीवनी शक्तिपात से पूरी राहत नही मिल पाती।
तब लोगों को मंत्र संजीवनी विद्या की दूसरे चरण की तकनीक संजीवनी सिंचन की जरूरत पड़ती है।
तब लोगों को मंत्र संजीवनी विद्या की दूसरे चरण की तकनीक संजीवनी सिंचन की जरूरत पड़ती है।
इसमें साधक प्रभावित व्यक्ति के आभामंडल को को अपने समक्ष बुलाते हैं। उनकी सभी 49 परतों में मौजूद ग्रह-नक्षत्र दोष, वास्तु दोष, तंत्र दोष, बाधा दोष, प्रारब्ध दोष, बुरी संगति और पूजा पाठ की नकारात्मक उर्जाओं की व्यापक सफाई करते हैं। दुख देने वाली इन सभी उर्जाओं को पालाल अग्नि में जलाकर नष्ट कर देते हैं। ताकि वे वापस लौटकर प्रभावित व्यक्ति को परेशान न कर सकें। इसके लिये साधक पाताली सुंरग का उपयोग करते हैं।
आभामंडल और उर्जा चक्रों की पूरी तरह सफाई हो जाये तो 60 प्रतिशत से अधिक समस्यायें अपने आप खत्म हो जती हैं।
दरअसल समस्यायें नकारात्मक उर्जाओं की घुसपैठ के कारण ही पैदा होती हैं। पूर्ण सफाई के बाद उर्जा चक्रों पर संजीवनी शक्ति का सिंचन करके उन्हें उपचारित और रिजनरेट किया जाता है। चक्रों का पुनर्जनन किया जाना मानो भाग्य को पुनः जगाया जाना होता है।
संजीवनी सिंचन बड़ी ही कारगर तकनीक है। आप भी इसका लाभ उठायें।