आभामंडलः हमारा अदृश्य शरीर

हमारा अदृश्य शरीर आभामंडल चमत्कारिक शक्तियों का समूह है तो दुखों का कारण भी है।
इसे सूक्ष्म शरीर, आभामंडल, प्रभामंडल, कास्मिक बाडी, इथरिक बाडी और भी तमाम नामों से लोग इसे जानते हैं। 
वास्तव में 49 परतों वाला आभामंडल 49 शरीरों का समूह है। ये सभी शरीर चमत्कारिक शक्तियों से बने हैं। इनमें ब्रह्मांड बनाने वाली ईश्वरीय शक्तियां हैं, और देव बनाने वाली दैवीय शक्तियां भीं। इसमें पीड़ा देने वाली राक्षसी शक्यिां भी हैं और विध्वंस करने वाली दानवीय शक्तियां भी। 
इनका उपयोग तय करता है कि व्यक्ति देव मानव बनेगा या साधारण मानव बनेगा। या कि शैतानी मानव।
इन शक्तियों के उपयोग से शिवोहम कहकर शिव बना जा सकता है।   
सूक्ष्म शरीर का अधिक से अधिक सदुपयोग व्यक्ति को राम, कृष्ण और बुद्ध बना देता है।  इनका दुरुपयोग व्यक्ति को रावण, कंस और दुर्योधन बना देता है। सूक्ष्म शरीर की शक्तियों से रिद्धी सिद्धी और मोक्ष सब कुछ सम्भव है।

मंत्र संजीवनी विद्या अदृश्य शरीर के व्यापक उपयोग और उपचार का विज्ञान है। 
दूसरी तरफ सूक्ष्म शरीर की उर्जाओं में मिलावट या असंतुलन व्यक्ति के जीवन में दुखों को उत्पन्न करता है। सूक्ष्म शरीर अत्यंत संवेदनशील है। यह और इसके अदृश्य अंग उर्जा चक्र दूषित व नकारात्मक उर्जाओं को बर्दास्त नही करते। नकारात्मक उर्जाओं से आभामंडल और उर्जा चक्र मिलावटी उर्जाओं का शिकार होकर बीमार हो जाते हैं।
सारी समस्यायें इसी कारण से पैदा होती हैं। 
दुखों से मुक्ति और जीवन में सुखों की उत्पत्ति के लिये इसे हमेशा साफ रखना चाहिये। साथ ही उर्जा चक्रों को उपचारित करते रहना चाहिये। सभी जानते हैं कि आभामंडल, उर्जा चक्रों की उर्जायें ठीक हों तो व्यक्ति से सुख कभी दूर नही हो सकते। शास्त्र तो यहां तक कहते हैं कि इससे लोक-परलोक, जन्म-जनमांतर सब सुधर जाते हैं।
मंत्र संजीवनी विद्या इसके लिये युगों से अचूक साबित हुई है। 
देवताओं और ऋषियों ने आभामंडल की सफाई का अत्यंत प्रभावी व व्यापक तरीका खोजा। वह है बहते पानी में स्नान करना। हमारे देश में नदियों के स्नान को इसीलिये बहुत महत्व दिया गया है। 
दरअसल नदी के बहते जल में नहाना सूक्ष्म शरीर के उपचार का युगों पुराना विज्ञान है। इससे नहाने वाले के आभामंडल, उर्जा चक्रों पर जमी दूषित उर्जायें पानी के साथ बहकर निकल जाती हैं। विशेष रूप से ग्रह-नक्षत्रों की दूषित उर्जायें का निष्कासन हो जाता है। साथ ही प्रवाहित जल की आवेशित सकारात्मक उर्जाओं को ग्रहण करके उर्जा चक्र उपचारित हो जाते हैं। इस तरह दुख उत्पन्न कर रही दूषित उर्जायें बह जाने व सफलता देने वाली सकारात्मक उर्जायें चक्रों में स्थापित हो जाने से लोग सुख समृद्धि की तरफ चल पड़ते हैं।
नमक के पानी से नहाने से भी आभामंडल की सफाई हो जाती है। नमक दुख दे रही नकारात्मक उर्जाओं को छिन्न भिन्न कर देता है। पानी उन्हें सीवर में बहा ले जाता है। ध्यान रहे पूरे पानी में नमक न डालें। किसी बर्तन में पानी लेकर उसमें दो चम्मच नमक मिला लें। पहले उससे नहायें। फिर रोज की तरह साबुन, शैम्पू आदि के द्वारा सामान्य स्नान करें। 
कुछ तरह की सुगंध से भी आभामंडल की सफाई होती है। सुगंध के प्रभाव से सूक्ष्म शरीर में मौजूद समस्यायें उत्पन्न करने वाली दूषित उर्जायें निकल जाती है। उनकी जगह सकारात्मक उर्जायें स्थापित हो जाती हैं। इसी कारण पूजा पाठ में धूप बत्ती आदि का उपयोग लम्बे समय से होता आ रहा है। ध्यान रखें बांस वाली अगरबत्ती न जलायें। इंजन आयल से बनी धूप बत्ती न जलायें। इनसे फायदे की जगह नुकसान ही होगा। 
हो सके तो फूलों की सुगंध का सहारा लें।       
कुंडलिनी, उर्जा चक्र आदि सूक्ष्म शरीर के शक्ति केंद्र हैं। इनका उपयोग करके सिद्ध लोग देवदूतों की तरह हो जाते हैं। लाखों लोगों का कल्याण करने में सक्षम बन जाते हैं। 
कुंडलिनी और उर्जा चक्रों को जगाकर उनकी शक्तियों का उपयोग करने के लिये मंत्र संजीवनी विद्या अत्यंत प्रभावशाली तकनीक है।