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संजीवनी विद्याः अचूक विज्ञान

व्यक्तित्व का निर्माण, सामाजिक उत्थान और दुखों से छुटकारा। इसी उद्देश्य से महादेव द्वारा मंत्र संजीवनी विज्ञान की स्थापना की गई।

पहले इस पर देवी देवताओं का अधिकार था। फिर ऋषियों ने कड़ी तपस्या करके भगवान शिव से इस अचूक विद्या को प्राप्त किया।
तब से अब तक असंख्य लोगों ने इसका उपयोग करके अपना व दूसरा का जीवन और भाग्य बदला है।
मृत्युंजय योग से जुड़े हजारों साधकों ने इसे सीखा। उनमें से अधिकांश लोगों को बड़े ही उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। वे न सिर्फ खुद समस्याओं से बाहर निकले बल्कि दूसरों को भी समस्या मुक्त कर रहे हैं। लोग उनसे मदद मांगने के लिये सम्पर्क करते हैं। वे दूर बैठे ही उन्हें ठीक कर देते हैं। 
संजीवनी शक्ति
मंत्र संजीवनी विद्या में त्रयक्षरी मृत्युंजय मंत्र ऊं. जुं सः की शक्तियों का उपयोग किया जाता है। इसे संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र और इसकी शक्ति भगवान शिव के आधीन है। इसमें जीवन ही नही भाग्य बदलने की भी अलौकिक क्षमता है।
शास्त्रों में लिखा है कि जिसने इस शक्ति का उपयोग सीख लिया, दुख उसे हरा नही सकता। मृत्युतुल्य आपदायें भी उससे हार जाती हैं। मृत्युतुल्य बीमारियां, दरिद्रता तुल्य आर्थिक संकट, यमराज तुल्य शत्रु बाधायें भी इस मंत्र शक्ति के सामने टिक नही पातीं। इसके प्रयोग से अगले पिछले कई जन्म संवर जाते हैं। 
मंत्र संजीवनी विद्या में इसी मंत्र शक्ति का उपयोग कराया जा रहा है। आप भी इसका उपयोग करके शास्त्र वर्णित शक्तियां प्राप्त करें। अपने और दूसरों के जीवन के दुख दूर करें।
सभी के कमांड मानती है संजीवनी शक्ति
अक्सर लोगों के दिमाग में एक सवाल उठता है कि जीवन चलाने वाली ताकत संजीवनी शक्ति हमारा कहना क्यों मानेगी, हमारे निर्देशों का पालन क्यों करेगी।
संजीवनी शक्ति अपने निर्माता स्वामी का कहना मानती है। आत्मा होने के नाते हम परमात्मा के अंश हैं। इस कारण संजीवनी शक्ति हम सबमें अपने स्वामी परमात्मा के तत्व पाती है। परमात्म तत्व के आदेश मानने के अपने प्राकृतिक गुण के कारण दुनिया चलाने वाली यह शक्ति हमारे सभी कमांड स्वीकार करती है।
जिसे यह स्वीकार करती है उसे साकार करने से कोई नही रोक सकता।
बस इसे कमांड देने की तकनीक आनी चाहिये। 
मंत्र संजीवनी विद्या इसी तरह की एक अचूक तकनीक है।